मंदसौर, 07 अक्टूबर गुरु एक्सप्रेस। हे राम…. इतनी महंगाई…! शायद राम से यही कह रहा होगा रावण, ऐसे में दशहरा पर्व पर बुराई के प्रतीक दहन होने वाले रावण के पुतलों पर भी महंगाई हावी हो गई है। कई जगहों पर तो इस महंगाई के कारण रावण का कद भी छोटा होने लगा है। बात मंदसौर की करें तो इस बार भी रावण के 71 फीट के पुतले का दहन होगा। जिसमें कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले भी होगे। करीब 18 साल पहले की बात करें तो कोटा-बूंदी के कलाकारों ने पचास हजार रुपए तीनों के पुतले तैयार करने के लिए लिए थे।
गत वर्ष लगभग ढाई लाख रुपए का खर्च तीनों पुतले तैयार करने में आया था। हर साल कभी पांच तो कभी दस तो कभी पंद्रह प्रतिशत महंगाई बढ़ने से पुतले बनाने की लागत बढ़ी है। इस बार 20 प्रतिशत महंगाई रावण का पुतला तैयार करने में बढ़ गई है। इस वर्ष दशहरा 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
जिले में कई जगहों पर दशहरे पर रावण सहित मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाएगा। मंदसौर में फतेहपुर सिकरी के कलाकारों द्वारा रावण के पुतले का निर्माण किया जाता है। रावण के पुतले तैयार करने में आने वाली सामग्री के दाम हर साल बढ़ रहे हैं। इसका असर रावण के पुतले पर भी देखा जा रहा है।
कई जगहों पर देखा जा सकता है कि रावण के पुतले का कद लगातार छोटा हो रहा है। यह महंगाई बढ़ने का ही कारण है। जहां 18 साल पहले रावण सहित मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले तैयार करने वाले कोटा बूंदी के कलाकारों को पचास हजार रुपए दिए गए थे। वहीं पिछले साल ढाई लाख रुपए के लगभग खर्च हुए। महंगाई के अनुरूप इस बार यह राशि 20 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है।
पुतले में लगने वाली सामग्री हुई महंगी….
कारिगरों के अनुसार इस बार निर्माण सामग्री के दाम काफी अधिक हो गए हैं। बांस, घास, सुतली से लेकर, रंगीन कागज तक सभी सामग्री महंगी हो गई है। ऐसे में पुतलों की लागत, मजदूरी में भी इजाफा, हुआ है। यही कारण है कि पुतला निर्माण के दामों में इजाफा किया गया है।
जीवागंज से हुई थी शुरुआत…
मंदसौर में दशहरा उत्सव की शुरुआत कई सालों पहले जीवागंज से हुई थी। तत्कालीन पार्षद रामचंद्र पहलवान ने रावण की बड़े रूप में शुरुआत यहीं से की थी। इसके बाद कुछ साल रावण दहन का आयोजन कालाखेत मैदान पर हुआ। इसकी अगुवाई उस समय गोपाल सोनी ने की थी। कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक नवकृष्ण पाटिल के नेतृत्व में रावण दहन नूतन स्टेडियम में पिछे की और भी हुआ। इसके बाद इसे कॉलेज ग्राउंड पर स्थानांतरित किया गया।
पुतला तैयार करने में उपयोगी सामग्री के दाम…
असमी बांस- 200 रु. प्रति नग
देशी बांस- 100 रुपए प्रति नग
सुतली- 130 रुपए किलो
तार- 90 से 100 रुपए किलो
कलर शीट – 1500 से 3000
इनका कहना …
पुतले में लगने वाली लागत लगभग 20 प्रतिशत तक बढ़ी है। करीब 15 साल पहले रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले कोटा बुंदी के कलाकारों ने बनाए थे। उस समय पचास हजार रुपए का खर्च आया था। पिछली बार ढाई लाख रुपए लागत आई थी। इस बार महंगाई बढ़ने से निश्चित रूप से लागत में बढ़ोतरी होगी।
नरेंद्र अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष, रावण दहन समिति मंदसौर
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