Raag Ratlami Election : आधी साफ हुई चुनावी तस्वीर; शहर में नतीजे की नही,जीत के आंकडे की चर्चा/ छाया हुआ है पीडब्ल्यूडी का मिशन कमीशन

-तुषार कोठारी

रतलाम। जिले में सजने वाले चुनावी अखाडे की आधी तस्वीर साफ हो गई है,लेकिन आधी अभी भी धुंधली है। अगले एक हफ्ते में पूरी तस्वीर साफ होने की उम्मीद है। किस अखाडे में किसका मुकाबला किससे होगा? ये अगले एक हफ्ते में पूरी तरह साफ हो जाएगा। पंजा पार्टी ने नवरात्रि के प्रथम दिन जो लिस्ट जारी की,उसमें रतलाम जिले के दो टिकट सामने आ गए है। इस तरह अब पंजा पार्टी और फूल छाप दोनो का स्कोर बराबर हो गया है। फूल छाप ने रतलाम शहर और सैलाना के टिकट घोषित किए है,तो पंजा पार्टी ने सैलाना और आलोट के।

जिले में सैलाना की तस्वीर पूरी तरह साफ हो गई है। दोनो ही पार्टियों ने पुराने वाले लडाकों पर ही दांव लगाया है। फूल छाप की मैडम जी को पंजा पार्टी के माननीय हो चुके भैय्या से जंग लडना है। इस जंग में जय जोहार वाले नेता के आने से कई सारे समीकरण उलट पुलट हो रहे है। चुनावी जोड बाकी करने वाले ये हिसाब नहीं लगा पा रहे है कि जय जोहार के मैदान में आने से झटका किसे लगेगा? ये पंजा पार्टी को नुकसान पंहुचाएगा या फूल छाप वाली मैडम जी को। या कहीं ऐसा तो नहीं कि दोनो ही पार्टियों को नुकसान हो जाए? आने वाले करीब एक महीने में चुनावी अखाडे के ये तमाम लडाके अलग अलग दांव पेंच लडाएंगे। तब जाकर साफ होगा कि आखिर वोटर किसका साथ देगा?

पंजा पार्टी ने आलोट में भी पुराने माननीय को उतार दिया है। फूल छाप अभी उलझन में है कि इस मैदान में किस लडाके को उतारा जाए? फूल छाप वालों का यही हाल जावरा और रतलाम ग्रामीण में भी हो रहा है। पंजा पार्टी से काफी पहले सूचियां जारी कर चुकी फूल छाप इन तीन सीटों पर फिलहाल चुप्पी साधे बैठी है। दूसरी तरफ पंजा पार्टी की भी यही हालत है। उनके पास दो माननीय पहले से ही थे। आलोट और सैलाना के दोनो माननीयों को तो पंजाछाप ने मैदान में उतार दिया है लेकिन रतलाम शहर,ग्रामीण और जावरा को लेकर वहां भारी उलझन है।

पूरे जिले में रतलाम शहर इकलौती ऐसी सीट है,जिस पर हार जीत की बातें नहीं हो रही। फूल छाप की लिस्ट आते ही शहर सीट पर जीत के आंकडे को लेकर चर्चाएं होने लगी। सारे कयास इस बात के लगाए जा रहे है कि पंजा पार्टी किसे मैदान में उतारेगी? पंजा पार्टी के युवा पहलवान की दावेदारी तो बडी अदालत ने बेकार कर दी। इसके बाद जो दावेदार बचे है,उन्हे लेकर हिसाब लगाए जा रहे है। जिले की पंचायती कर चुके नेताजी पूरे सावन में श्रद्धालुओं को महाकाल बाबा के दर्शन करवाते रहे। इन नेताजी को पूरी उम्मीद है कि महाकाल की कृपा उन पर जरुर बरसेगी और पंजे का टिकट उन्ही के हाथों में होगा?

अदालती फरमान से विधायकी गंवा चुके झुमरू दादा भी दावेदारों की कतार में है। फूल छाप वालों की मानें तो उनके लिए झुमरू दादा ज्यादा बेहतर साबित होंगे। फूल छाप वालों का कहना है कि अगर पंजा पार्टी की तरफ से झुमरू दादा को मैदान में उतार दिया गया,तो फूल छाप वाले भैयाजी जीत का बहुत बडा रेकार्ड बनाएंगे। ये ऐसा चुनाव होगा जिसमें पंजा पार्टी चुनाव लडती नजर भी नहीं आएगी और चुनाव निपट जाएगा। दूसरी तरफ अगर जिला पंचायती वाले नेताजी मैदान में उतरे तो कुछ लोगों को उम्मीद है कि पंजा पार्टी कम से कम चुनाव लडती नजर तो आएगी। नतीजा तब भी वही होगा,लेकिन फिर भी मुकाबला थोडा दिलचस्प होता दिखेगा।

इसके अलावा जिले की बाकी तीनों सीटें यानी जावरा,आलोट और रतलाम ग्र्रामीण में सियासी समीकरण काफी जटिल है। पार्टियों के प्रत्याशी सामने आने के बाद ही वहां की तस्वीरें साफ हो पाएगी कि आखिरकार वोटर किसके साथ जाएगा?

पीडब्ल्यूडी का मिशन कमीशन

सरकारी सडक और इमारतें बनाने वाले महकमे यानी पीडब्ल्यूडी में इन दिनों मिशन कमीशन छाया हुआ है। महकमे के बडे साहब पर कमीशन लेने का मामला चर्चाओँ में है। कमीशन भी छोटा मोटा नहीं सीधा लाखों में। लाखों के कमीशन की बात आम आदमी के लिए हैरत भरी हो सकती है मगर पीडब्ल्यूडी महकमे को जानने वालों के लिए इसमें हैरत वाली कोई बात नहीं है। उनके लिए हैरत वाली बात ये है कि किसी ठेकेदार ने ये बात उजागर कैसे कर दी?

पीडब्ल्यूडी शुरु से मलाईदार महकमा है। इस महकमे के चपरासी भी लक्जरी कारों में घूमते है। ऐसे में महकमे के बडे साहब के लिए दो पांच लाख का कमीशन कोई बडी बात नहीं बल्कि मामूली बात होती है। महकमे के लोगों को परेशानी यही है कि ठेकेदार ने पांच लाख तो दे दिए लेकिन बाद में साहब ने सिर्फ दो लाख मांगे तो उसने पूरी पोल खोल के रख दी। अब महकमे के लोग और खुद साहब भी कमीशन की बातों को सिरे से नकार रहे है। साहब लोगों की सफाईयां सुन कर लोग हैरान है कि बिना कमीशन के ये महकमा चल कैसे सकता है?

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours